क्या अपने कभी सोचा है, यूथ की ये बेचैनी, कितनी क्रिएटिव है

विफलता की परवाह नहीं

आसमान छूते सपने, भरपूर उम्मीदें, आत्मविश्वास, विपरीत स्थितियों में खड़े रहने का हौसला, सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल और गजब का साहस, यह सब कुछ है आज के यूथ में। बेचैनी है, जो रिस्क लेने का जबाब देती है। इन्हें विफलता की परवाह नहीं। कैसे लगा कर अपना दिल और जान, करते हैं हासिल अपना मुकाम.

छोटी उम्र, टारगेट बड़े 

उम्र में बहुत छोटे हैं अयान चावला और उनका पद है- फाउंडर, सीईओ, एशियन फॉक्स डेवलपमेंट्स। शुरू से ही अयान को कुछ अलग कर गुजरने की बेचैनी थी। आज उनकी कई कंपनियां हैं। उन्होंने अपना टारगेट काफी पहले ही तय कर लिया था। कहते हैं अयान, ‘सफलता के लिए उम्र के कोई मायने नहीं हैं। जब मैं आठ साल का था, तब मुझे पहला कंप्यूटर मिला। इस पर मैं मूवीज बनाता, उन्हें एडिट करता। एक दिन मेरे मन में उन सॉफ्टवेयर्स के बारे में जानने की इच्छा हुई, जिन पर मैं काम करता था। तेरह साल की उम्र में मैंने फेसबुक, यू-ट्यूब और नौकरी डॉट कॉम को मिला कर एक सोशल यूटिलिटी ऐप ‘ग्रुप फॉर बडीज बनाया। इसमें दोस्त हर चीज शेयर कर सकते थे। लाइव विडियो डाल सकते थे। इसे जबर्दस्त रिस्पॉन्स मिला तो दो ही महीने बाद मैंने अपनी खुद की आईटी सॉल्यूशंस कंपनी ‘एशियन फॉक्स डेवलपमेंट्स बना ली। इसी कॉरपोरेट के साथ एक ही साल में वेब सॉल्यूशन के लिए ‘ग्लोबल वेब माउंट और मीडिया एंड मार्केटिंग सर्विसेज के लिए ‘माइंड इन एडवर्टाइजि़ग कंपनीज बनाईं। अयान ने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की सारी लैंग्वेजेस छोटी उम्र में खुद ही सीखीं। आज वे माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, आईबीएम और सिस्को जैसी कंपनियों के लिए पार्टनर एंड डेवलपमेंट पार्टनर के तौर पर काम कर रहे हैं। Best seo service in India

रोज नया आइडिया सोचता

मेरे पास टाइम बहुत कम है। अभी मुझे बहुत कुछ करना है। समय बर्बाद कर रहा हूं। अभी तक कुछ भी ऐसा नहीं कर सका हूं जिससे मुझे सैटिस्फैक्शन मिले…। इसी बेचैनी में हर दिन अपना कोई नया लक्ष्य चुनता है यूथ। रोज नया आइडिया सोचता है और अपने काम को ऊंचाइयों पर ले जाने की निरंतर और नए ढंग से कोशिश करता है। वह एक कोलाज है, जिसमें हर रंग की तसवीर शामिल है। बॉलीवुड में पिछले तीस से भी जयादा वर्षों से सक्रिय अनुपम खेर मानते हैं कि बेचैनी क्रिएटिव होती है। युवावस्था में वे बेचैन थे, तभी बॉलीवुड में इतने साल गुजार पाए। अगर चैन से रहते तो हमेशा चैन से ही रह जाते। best seo agency in Delhi

हिमालय पर किया है काम

सोशल एंटरप्रेन्योर कनिका सूद के हर शब्द में कुछ कर गुजरने का साहस टपकता है। हिमालय पर बिगड़ता पर्यावरण हमेशा से उन्हें बेचैन करता था और उन्हें लगता था कि वे कुछ करें। पढ़ाई के लिए शिमला से दिल्ली आ गईं लेकिन हिमालय से नाता नहीं तोड़ा। फिर उन्होंने कॉलेज में ही ‘नीडफुल इनिशिएटिव फॉर एनवायरमेंट फाउंडेशन बनाया और ऑर्गेनिक फार्मिंग व ईको-टूरिजम को बढ़ावा देने लगीं। कनिका ने लद्दाख में पायलट प्रोजेक्ट्स चलाए। कहती हैं, ‘लद्दाख में बाढ़ के बाद बन गए मैदानों में प्लांटेशन की है हमने। इससे ग्रीनेबल एंप्लॉयमेंट भी जेनरेट होता है और पहाड़ों में प्राकृतिक आपदा का खतरा भी कम हो जाता है। अपने पायलट प्रोजेक्ट के तहत हमने लद्दाख के आठ गांवों को ईको-टूरिजम के लिए प्रोत्साहित और प्रशिक्षित किया है। अब वे अपनी खाली जमीनों पर होटल न बना कर पेड़ लगा रहे हैं और टूरिस्ट्स को ‘होमस्टे प्रोग्राम के तहत अपने घरों में ठहरा रहे हैं। इससे उनको दोहरा फायदा हो रहा है।

समाज का भी है खयाल

अनिकेत को भी कम उम्र से ही सामाजिक समस्याएं परेशान करने लगीं। इसी हलचल के बीच जब नवीं कक्षा में टीवी पर एक कार्यक्रम देखा तो एनिमल वेलफेयर से जुड़ गए। दोस्त सागरिका देब के साथ मिलकर एक ऑनलाइन कम्युनिटी बनाई ‘वी फील द पेन फॉर एनिमल्स। कहते हैं अभिषेक, ‘इसमें हम लोगों को पशुओं के प्रति क्रूरता न करने के लिए जागरूक करते हैं। काफी समय से हम पशुओं के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं। सर्दी के दिनों में मैं और मेरे दोस्त रेलवे स्टेशन पर रहने वाले बेघर लोगों को खाने-पीने और ओढऩे का सामान वितरित करते हैं। गरीबों की मदद करने की जिम्मेदारी मुझे हर व$क्त महसूस होती है। अभिषेक ‘जॉय ऑफ गिविंग नाम से एक और अभियान चला रहे हैं, जिसका उद्देश्य लोगों को यह समझाना है कि दान देने से खुशी मिलती है। जंगलों को बचा कर, पेड़ लगा कर जंगली जीव-जंतुओं को बचाए रखने की मुहिम से भी वे जुड़े हैं।

इंटरनेशनल हैं क्लाइंट्स

कुछ कर गुजरने को आतुर इस यूथ ने न केवल अपने देश में नए काम और नई सोच को जगह दी है बल्कि इंटरनेशनल क्लाइंट्स को भी अपनी प्रतिभा से कायल किया है। नोएडा में बैठ कर यूएस के क्लाइंट्स के लिए लगातार नए ऐप डेवलप कर रहे हैं रोहन। कहते हैं, ‘हमारे काम को बहुत एप्रिसिएशन मिल रहा है। फाइव स्टार रेटिंग है हमारी। हम विदेश जाने के बजाय यहीं काम लेते हैं और हमारे काम का पैसा बिना किसी देरी के बैंक में क्रेडिट हो जाता है।कोई कुछ भी कहे कामयाबी की राह पर आगे बढ़ते यूथ को नाकामयाबी का डर नहीं है। कोई कुछ भी कहे, कुछ भी समझे, इसकी भी परवाह नहीं। कॉलेज से अच्छे पैकेज पर कैंपस सेलेक्शन के बाद भी कार्तिकेय ने अपने मन का काम देख कर छोटा सा स्टार्ट अप जॉइन किया है। कहते हैं, ‘जिस काम में मेरा मन लगता है, वही करूंगा। पैसा तो मैं बहुत कमा लूंगा लेकिन अभी मेरा लर्निंग टाइम है।

Saina Nehwal beats PV Sindhu to win 3rd national badminton title

 In a clash of India’s two best female shuttlers, Saina Nehwal beat World No. PV Sindhu in straight games to become the national singles champion once again after a gap of 10 years on Wednesday.

Nehwal, who last won the national title in 2007, produced a clinical performance to beat higher ranked Sindhu 21-17, 27-25, with the second game going all the way as Rio Olympics silver medallist tried everything in her power to force a decider. The women’s singles final of Senior Badminton National Championships in Nagpur was the second blockbuster final of the day.

The result means that both top-two players in men’s and single’s sections tasted defeats in Indian national tournament. In men’s singles, HS Prannoy defeated World No. 2 Srikanth Kidambi in three grueling games to win his maiden national title.

But the 27-year-old London Olympics medallist showed grit and determination to win the game in the seventh match point. This is her third national title, in third finals.

In their third meeting, Nehwal won the first game with Sindhu committing a series of mistakes. But still, it was a tight game considering how Sindhu recovered from 13-17 down to 18-17.

Nehwal, however, started the second game in the worst possible manner, losing long rallies, including a 32-shot rally to concede a 6-4 lead. She then found the gap 15-18, despite her fightback.

Then suddenly, she found herself on match point at 20-19 with Sindhu starting to make errors. But again, Sindhu kept saving match points, for six times. At 26-25, with Nehwal on seventh match point, Sindhu crashed her return into the net.

With the win, Nehwal now leads Sindhu 2-1 in their head-to-head record. Nehwal beat Sindhu 21-14, 21-17 in their first meeting at 2014 India Grand Prix Gold. But Sindhu got her revenge three yearslaterr in the India Open, winning 21-16, 20-22.

Nehwal won her first national title in 2006, which she defended the following year.

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“I think it was a very difficult game for me. Sindhu is world number 2 at the moment. I was expecting this to be very tough for me. I was able to move well today, and I was able to pick up her shots. I am really happy today. My movements were very good, and I was not thinking too much about the score. I would like to thank Gopi sir and the team for working on my movements and making me move better. My fighting spirit was quite good, and even I am surprised by how I played today. I think I played a 100 percent today. Every tournament is a new tournament. I have won the first nationals after almost 10 times,” Nehwal said after the hardfought win.

Sindhu won the national titles in 2011 and 2013.

Last year, Rituparna Das won the women’s title after defeating Reshma Karthik 21-12, 21-14 in the final.

 

 

Source: newsekaaina

फ्रंट 20 मेगापिक्सल कैमरे वाले Oppo F5 में कुछ है खास

 

इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि पिछले कुछ समय तक सभी स्मार्टफोन देखने में एक जैसे थे। लेकिन इस साल कुछ निर्माताओं ने पतले बॉर्डर वाले और लंबे स्क्रीन वाले नए फ्लैगशिप फोन लॉन्च किए। अब, अधिकतर निर्माता 18:9 आस्पेक्ट रेशियो का इस्तेमाल कर रहे हैं और खरीदार भी नए लुक वाले स्मार्टफोन को खरीदने के लिए आगे आ रहे हैं। स्मार्टफोन निर्मता ओप्पो भी अपने नए Oppo F5 के साथ इस लिस्ट में शामिल हो गई है। हमें आधिकारिक लॉन्च के समय इस नए वेरिएंट के साथ थोड़ा समय बिताने का मौका मिला। आइये जानते हैं पहली नज़र में फोन कैसा दिखता है।

फोन में बड़ा डिस्प्ले सबसे पहले ध्यान ख़ीचता है। एफ5 में एक 6 इंच फुलएचडी+ स्क्रीन है। 18:9 रेशियो वाला स्क्रीन 5.5 इंच स्क्रीन वाले साइज़ में ही फिट आता है। फोन के किनारे पतले हैं और 152 ग्राम को वज़नदार तो नहीं कह सकते। पावर और वॉल्यूम बटन तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

आगे की तरफ़, फोन में ईयरपीस और 20 मेगापिक्सल का सेल्फी कैमरा है। फोन का निचला हिस्सा खाली है क्योंकि ओप्पो स्मार्टफोन में ऑन-स्क्रीन नेविगेशन बटन दिए जाते हैं।

फोन का पिछला हिस्सा किनारों के पास घुमावदार है जिसके चलते फोन की ग्रिप सुविधाजनक रहती है। हमारी गोल्ड रिव्यू यूनिट में ऊपर व नीचे की तरफ़ सिल्वर एंटीना लाइन दी गईं हैं जो देखने में अच्छी लगती हैं। फोन  में अपर्चर एफ/1.8 के साथ 16 मेगापिक्सल का रियर कैमरा है। सेंसर थोड़ा सा उभरा हुआ है लेकिन इसके चारों तरफ़ एक मेटल रिंग है जो किसी तरह के स्क्रैच से लेंस की सुरक्षा करेगा। ओप्पो ने नीचे की तरफ़ लाउडस्पीकर, माइक्रो-यूएसबी पोर्ट और 3.5 एमएम सॉकेट दिया है जबकि ऊपर की तरफ़ एक दूसरा माइक्रोफोन है।

फोन में एक ऑक्टा-कोर मीडियाटेक एमटी6763टी प्रोसेसर है। ओप्पो एफ5 के बेस वेरिएंट में  4 जीबी रैम और 32 जीबी स्टोरेज है  लेकिन कंपनी ने ज़्यादा कीमत वाला 6 जबी रैम/64 जीबी वेरिएंट भी लॉन्च किया है। एफ5 एक डुअल सिम डिवाइस है और इसमें दो नैनो-सिम स्लॉट और एक माइक्रोएसडी कार्ड स्लॉट दिया गया है। फोन हाइब्रिड डिज़ाइन के साथ नहीं आता, इसलिए स्टोरेज को बढ़ाने के लिए दूसरे सिम कार्ड का बलिदान नहीं करना पड़ेगा। फोन को पावर देने के लिए 3200 एमएएच की नॉन-रिमूवेबल बैटरी है।

सॉफ्टवेयर की बात करें तो, एफ5 एंड्रॉयड 7.1.1 नूगा पर चलता है जिसके ऊपर कलरओएस दिया गया है। स्टॉक एंड्रॉयड की तुलना में यूआई थोड़ा अलग है। लेकिन अगर आपने इससे पहले ओप्पो फोन इस्तेमाल किया है तो समस्या नहीं होनी चाहिए।

फोन इस्तेमाल करते समय हमें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, और प्रोसेसर व रैम की जुगलबंदी हमें पसंद आई। ओप्पो ने 20 मेगापिक्सल के सेंसर से ली गईं सेल्फी को बेहतर बनाने के लिए एआई ब्यूटी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। हमने कैमरे से कुछ तस्वीरें क्लिक कीं और परिणाम हमें अच्छे लगे।

ओप्पो एफ5 के साथ जितना समय हमने बताया, हमारा अनुभव बढ़िया रहा। लेकिन फोन के लिए चुनौती कड़ी है। अगर आपकी प्राथमिकता बेहतर सेल्फी लेना है तो आप फोन खरीद सकते हैं। ओप्पो एफ5 के फुल रिव्यू के लिए गैजेट्स 360 के साथ बने रहें।

Source: newsekaaina